Friday, September 20, 2013

ख्वाब

ख्वाब...
मिट्टी के घरोंदे जैसे नाज़ुक ख्वाब,
खिलखिलती हँसी के जैसे रंगीन ख्वाब,
सोती हुई नींदो में जागे हुए से हसीन ख्वाब,
पशमीने के शॉल के टूटे धागो जैसे उलझे ख्वाब,
बारिश की बूँदो से गिरते नमकीन ख्वाब,
प्यासे मन के अंजान कोने में दबे संगीन ख्वाब...


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